Monthly Archives: February 2017

मेरा बचपन

आज फ़िर, उस, कोने में पड़े, धूल लगे ‘संदूक’ को, हाथों से झाड़ा… धूल……आंखों में चुभ गई . संदूक का, कोई नाम नहीं होता. पर इस संदूक में, एक खुरचा सा नाम था . सफ़ेद पेंट से लिखा . तुम्हारा … Continue reading

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